रेज़ांग ला
रेज़ांग ला Rezang La | |
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ऊँचाई | 5,000 m (16,404 ft) |
स्थान | लेह ज़िला, भारत |
पर्वतमाला | हिमालय |
निर्देशांक | 33°31′07″N 78°43′51″E / 33.518611°N 78.730833°Eनिर्देशांक: 33°31′07″N 78°43′51″E / 33.518611°N 78.730833°E |
रेज़ांग ला (Rezang La) भारत के लद्दाख़ क्षेत्र में चुशूल घाटी के दक्षिणपूर्व में उस घाटी में प्रवेश करने वाला एक पहाड़ी दर्रा है। यह २.७ किमी लम्बा और १.८ किमी चौड़ा है और इसकी औसत ऊँचाई १६,००० फ़ुट है। यह स्पैंग्गुर गैप के दक्षिण में 11 मील की दूरी पर है, जो कि चीन की 1960 की सीमा वार्ता के दौरान चीन ने अपनी 'पारंपरिक प्रथागत सीमा' के रूप में दावा किया था। इसकी ऊंचाई 5,500 मीटर (18,000 फीट) है, और रेजांग लुंगपा धारा का स्रोत बनता है जो स्पैंगूर झील में जाती है।[1]
रेजांग ला के उत्तर-पश्चिम में लगभग 2-3 किमी की दूरी पर रेचिन ला (या रेकिन ला) है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी है,[2][3] और दूसरी धारा का स्रोत बनाती है। इस दर्रे में LAC के चीनी और भारतीय दोनों तरफ सड़कें हैं।
१९६२ युद्ध
[संपादित करें]१९६२ के भारत-चीन युद्ध में रेज़ांग ला अहीर रेजिमेंट के १३ अहीर दस्ते(अहीर टुकड़ी) का अंतिम मोरचा था।[4] दस्ते का नेतृत्व मेजर शैतान सिंह कर रहे थे जिन्हें अपनी वीरता के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र मिला।[5] यहाँ भारतीय और चीनी बलों के बीच मुठभेड़ में १२३ सैनिकों के भारतीय दस्ते में से ११४ ने अपनी जाने दी थीं। इनके लिए हरियाणा के रेवाड़ी गाँव में एक स्मारक बनाया गया है जहाँ से इस दस्ते के कई सिपाही आए थे। इस स्मारक पर दर्ज है की इसी लड़ाई में १३०० चीनी सैनिक मारे गए थे।[6]
रेज़ांग ला पर भी एक युद्ध स्मारक है जिसपर थोमस बैबिंगटन मैकाले की कविता "होरेशियो" के कुछ अंश के साथ उस मुठभेड़ की स्मृति लिखी हुई है:[7][8][9]
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अन्य स्मारक
[संपादित करें]एक अन्य स्मारक का निर्माण रेवाड़ी शहर में धारूहेड़ा चौक के पास, रेवांगला शहर में रेजांग ला पार्क, रेजांगला शौर्य समिति द्वारा किया गया था। हर साल समिति द्वारा जिला प्रशासन और कुमाऊं रेजिमेंट के सहयोग से स्मारक समारोह आयोजित किए जाते हैं, और रेजांगला में मरने वालों के परिवार के सदस्य भी हिस्सा लेते हैं।
2020 सीमा गतिरोध
[संपादित करें]2020 में गर्मियों में सीमा गतिरोध के हिस्से के रूप में, भारतीय सेना ने रेजांग ला और रेचिन ला सहित पैंगोंग त्सो के दक्षिण में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सैनिकों को तैनात किया था। यह उन्हें स्पैगुर गैप और चीन के कमांडिंग दृश्य देने के लिए कहा गया था। "मोल्दो सेक्टर" (स्पैंगुर झील के आसपास की तैनाती)।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Sinha & Athale 1992, पृष्ठ 334 (The source gives the distance incorrectly as 11 km instead of 11 miles.)
- ↑ "Echoes of heroism in Rezang La".
- ↑ ""Any Trajectory" Possible In India-China Stand-Off, Talks Critical: Sources".
- ↑ Mohan Guruswamy. "Don't forget the heroes of Rezang La". The Hindu. मूल से 26 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-04-08.
- ↑ Mohan Guruswamy (November 20, 2012). "Don't forget the heroes of Rezang La". The Hindu. मूल से 26 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 March 2015.
- ↑ "Nobody believed we had killed so many Chinese at Rezang La. Our commander called me crazy and warned that I could be court-martialled". Indianexpress.com. मूल से 4 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-04-08.
- ↑ "Lays of Ancient Rome, by Thomas Babbington Macaulay". Gutenberg.org. मूल से 5 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-04-08.
- ↑ "Archived copy". मूल से 28 जनवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 January 2014.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)
- ↑ "Archived copy". मूल से 2 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 January 2014.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)